

मुंबई :महाराष्ट्र और गुजरात के राज्यपाल **आचार्य देवव्रत** ने आज (24 अक्टूबर) मुंबई स्थित **राजभवन** में “प्राकृतिक खेती**” विषय पर आयोजित एक विशेष संगोष्ठी में राज्य के मंत्रिपरिषद सदस्यों, विधायकों और वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित किया।इस अवसर पर **मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस**, **उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे**, **विधान परिषद के सभापति राम शिंदे**, उपसभापति डॉ. नीलम गोरे**, मंत्री, राज्यमंत्री, **मुख्य सचिव राजेश कुमार**, और विभिन्न विभागों के सचिव व अधिकारी उपस्थित थे।🌾 *राज्यपाल देवव्रत बोले – “जैविक और प्राकृतिक खेती में है मूलभूत अंतर”*राज्यपाल ने अपने संबोधन में *जैविक (ऑर्गेनिक) खेती* और *प्राकृतिक खेती* के बीच का अंतर स्पष्ट करते हुए कहा –> “जैविक खेती में कुछ बाहरी जैविक तत्वों का उपयोग किया जाता है, जबकि प्राकृतिक खेती पूरी तरह से प्रकृति पर आधारित होती है। इसमें मिट्टी, पानी और पर्यावरण का संतुलन बनाए रखते हुए फसल उत्पादन किया जाता है।”उन्होंने कहा कि *प्राकृतिक खेती केवल कृषि पद्धति नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक विचारधारा है*, जो मिट्टी की सेहत, जल संरक्षण और मानव स्वास्थ्य – तीनों को साथ लेकर चलती है।–

🌱 *“रसायनमुक्त खेती से ही बचेगा जल, भूमि और मानव स्वास्थ्य”*राज्यपाल देवव्रत ने कहा कि रासायनिक खादों और कीटनाशकों के अंधाधुंध उपयोग से मिट्टी की उर्वरता कम हो रही है, भूजल प्रदूषित हो रहा है और मानव स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ रहा है।उन्होंने उपस्थित जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से अपील की कि —> “हम सभी को अब प्रकृति से संघर्ष नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ सहयोग करना सीखना होगा। प्राकृतिक खेती ही आने वाली पीढ़ियों के स्वस्थ भविष्य की गारंटी है।”

🌾 *मुख्यमंत्री फडणवीस और उपमुख्यमंत्री शिंदे का मत*मुख्यमंत्री **देवेंद्र फडणवीस** ने कहा कि राज्य सरकार किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर प्रेरित करने के लिए प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की योजना पर काम कर रही है।उपमुख्यमंत्री **एकनाथ शिंदे** ने भी कहा कि

“राज्यपाल महोदय का यह उपक्रम केवल खेती सुधारने का नहीं, बल्कि समाज और आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने का अभियान है।”—### 🌿 *अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की चर्चा*संगोष्ठी में उपस्थित मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों ने राज्य में पहले से चल रहे प्राकृतिक खेती के प्रयोगों पर विचार-विमर्श किया।कई जिलों में सफल मॉडल्स के आधार पर *पायलट प्रोजेक्ट्स* शुरू करने की भी रूपरेखा रखी गई।

🌾 *राज्यपाल का संदेश – “प्रकृति से प्रेम करो, प्रकृति के साथ जियो”*अपने समारोपिक भाषण में राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा –> “हम रसायनों के प्रयोग से अल्पकाल में उत्पादन तो बढ़ा लेते हैं, पर दीर्घकाल में मिट्टी का जीवन समाप्त कर रहे हैं। मिट्टी को जीवित रखना ही पृथ्वी को जीवित रखना है। आइए, हम सब मिलकर प्राकृतिक खेती को जन आंदोलन बनाएं|



