
एस पी नाईन प्रतिनिधी
आज जब विश्वभर में वर्चस्व की राजनीति देखी जा रही है, ऐसे समय में वामन मेश्राम का नेतृत्व सामाजिक परिवर्तन की दिशा में एक प्रखर आवाज बनकर उभरा है। जिस प्रकार असदुद्दीन ओवैसी एक सशक्त और निर्भीक व्यक्तित्व के रूप में देश का गौरव बने हैं, उसी प्रकार बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के संस्थापक मान्यवर कांशीराम जी के बाद अगर किसी को उनका असली वारिस कहा जाए, तो वह वामन मेश्राम ही हैं। वे ही ऐसे नेता हैं, जो देश को सामाजिक न्याय और समता के रास्ते पर आगे ले जा सकते हैं।
इसी तरह, “भीम आर्मी” तथा “भीम टायगर पार्टी” के सुप्रीमो मान्यवर चंद्रशेखर आज़ाद ने कांशीराम जी के नगिना लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर यह प्रमाणित कर दिया है कि कांशीराम जी की विचारधारा आज भी जीवंत है। आज समाज उन्हें कांशीराम जी के पुनः अवतार के रूप में देख रहा है। विशेषतः महाराष्ट्र के युवाओं को चंद्रशेखर आज़ाद को अपना आदर्श मानकर दलित आंदोलन को फिर से एकजुट करने की दिशा में प्रयास करना चाहिए। उनका जीवन, संघर्ष और नेतृत्व हमें कांशीराम जी की याद दिलाता है।
इस संदर्भ में गणतंत्र पार्टी के यवतमाल जिला अध्यक्ष राजू पटेल मलनस ने भी एक महत्वपूर्ण मांग उठाई है। उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रल्हाद गव्हारे के नेतृत्व में यह प्रस्ताव रखा कि जैसे ग्राम पंचायतों में सरपंच पद के लिए आरक्षण व्यवस्था है, उसी तरह प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पदों के लिए भी आरक्षण लागू किया जाना चाहिए। यह मांग समाज के हर वर्ग को समान प्रतिनिधित्व देने की दिशा में एक साहसिक कदम है।
यह समय है जब देश के बहुजन, वंचित और पिछड़े वर्गों को एकजुट होकर अपने अधिकारों की मांग करनी चाहिए और सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए इन नेतृत्वकर्ताओं के मार्गदर्शन में संगठित रूप से आगे बढ़ना चाहिए।