
निपाणी (प्रतिनिधि):
संगीत की धुनों में जीने वाला दर्शन शहा, सपनों की ताल पर चलने वाला और हर सुर में जान भर देने वाला *हमारा हीरा दर्शन शहा… अब सिर्फ यादों में रह गया है।
सिर्फ 24 वर्षों में अपनी अद्भुत कला, अथक मेहनत और सच्च्या समर्पण के बल पर उसने निपाणी के संगीत जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी।
दर्शन शहा 4 जुलाई 2000 को जन्मे..इस जन्मजात कलाकार को बचपन से ही संगीत से गहरा लगाव था। तबला, ढोलकी, गिटार, पियानो — हर वाद्ययंत्र उसके दिल से जुड़ा था। *गोमटेश इंग्लिश मीडियम स्कूल* में पढ़ते हुए दर्शन शहा न सिर्फ पढ़ाई में, बल्कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी अपनी छाप छोड़ी। स्कूल का हर कार्यक्रम उसकी मौजूदगी के बिना अधूरा लगता था।

उम्र के साथ-साथ संगीत उसके जीवन का केंद्र बन गया। दर्शन शहा ने पियानो सीखना शुरू किया और बहुत जल्द ही यह उसकी पहचान बन गया। अपनी मेहनत के दम पर उसे Furtados Music Company में संगीत शिक्षक की पहली जिम्मेदारी मिली।
इसके बाद K.L.E. CBSC School, Nipani में उसने स्कूल बैंड को नई दिशा दी और बच्चों को संगीत के प्रति प्रेरित किया।

सिर्फ 23 वर्ष की आयु में, गुढीपाड़वा के शुभ दिन पर उसने अपने सपनों की नींव रखी — निपाणी में अपनी खुद की म्यूज़िक अकैडमी शुरू की।
आज भी उस अकैडमी की दीवारें उसकी धुनों से गूंजती हैं। अपने विद्यार्थियों के लिए वह केवल शिक्षक नहीं था, बल्कि एक मार्गदर्शक, प्रेरणा स्रोत और सच्चा दोस्त था।

लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था — 13 नवंबर 2024।
स्कूल की ड्यूटी से घर लौटते वक्त हुए दर्दनाक हादसे में उसने दुनिया को अलविदा कह दिया। एक पल में संगीत का सुर थम गया…
मगर उसकी यादें, प्रेरणा और उसकी बनाई सुरेल विरासत आज भी हर दिल में दर्शन ज़िंदा हैं।

दर्शन शहा जाने से निपाणी के संगीत जगत पर शोक की छाया छा गई।
हर विद्यार्थी, हर मित्र और हर साथी के होंठों पर बस एक ही वाक्य था —
“वो सच में हमारा हीरा था…”💔

दर्शन की मुस्कान, उसका जोश और संगीत के प्रति उसका अमर प्रेम आज भी जीवित है।
हर कीबोर्ड की धुन, हर तबले की थाप में उसकी यादें आज भी गूंजती हैं।
वो चला गया… पर उसका संगीत हमेशा जिंदा रहेगा।
वो थम गया… पर उसकी धुनें कभी नहीं रुकेंगी।
क्योंकि वो सच में ‘हमारा हीरा’ था — उज्ज्वल, प्रेरणादायी और अमर…** 🎶💫
